लेखनी कविता -उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब - ग़ालिब

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उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब / ग़ालिब उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है ...

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